नव मिथिला डेस्क :
कोलकाता : मिथिला विकास परिषद के तत्वाधान कवि सम्मलेन आ "मैथिली भाषा के संवैधानिक मान्यता एवं ओकर सामाजिक प्रभाव" विषयक संगोष्ठी तारासुन्दरी पार्क में आयोजित भेल। कार्यक्रम के उद्घाटन दीप प्रज्वलीत आ जय-जय भैरव बन्दना स भेल। जाहि मे मिथिला-मैथिली हित लेल वक्ता सब अपन विचार व्यक्त केलनि। नाट्य निर्देशक-रंगकर्मी श्री भवनाथ झा कहलनि जे मिथिला-मैथिली हित में सोचै वला एकटा नेता चाही, तहने मैथिली के विकास संभव छै, ई गुण हमरा अशोक झाजी में देखा रहल अछि, आई हिनके देन नागार्जुन जीक प्रतिमा अछि, पूरा देश के मैथिल के नज़रि कोलकाता पर छै।
अहिठाम मिथिला-मैथिली हित लेल बहुत रास काज अतीत स होइत आबि रहल अछि। एहि कार्यक्रम के अध्यक्ष साहित्यकार लक्ष्मण झा सागर कहलनि जे दुर्भाग्य छै मैथिली के जे अष्टम अनुसूची में शामिल भेलाक उपरांतो एखन धरि बिहार में द्वितीय भाषाक मान्यता नहिं भेटल अछि। जँ टाका स अधिकार भेटतै त सब स पहिले राजस्थानी भाषा के भेट जैतै। सब संस्था के एकठाम अएबाक चाही। मुन्ना जी अपन कविता के माध्यम स सब जाति जे मिथिला में जन्म लेलक अछि, तकरा ई बोध हेबाक आवश्यक जे हम मैथिल छी।
संस्था के अध्यक्ष श्रीमान अशोक झाजी कहलनि जे, सब युवा के एक मंच पर अनबाक समय आबि गेल छै, हम धन्यवाद दैत छियैन डा. सी पी ठाकुर, भोगेन्द्र झा, बैद्यनाथ चौधरी "बैजु", पंडित ताराकांत झा आ सुदीप बंधोपाध्याय के जिनक प्रयास स मैथिली के अष्ठम अनुसूची में शामिल कायल गेल। हम अपन सदस्य क कहबनि जे तारासुन्दरी पार्क में नागार्जुन पार्क के बैनर लागै । आगू कहलनि जे मैथिली भाषा भारतक प्राचीनतम भाषा अछि। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के कार्यकाल में मैथिली भाषा के वर्ष २००३ में भारतीय संविधान के अष्टम अनुसूची में शामिल कायल गेल छल। १२ वर्ष स ज्यादा समय बीतलाक बादो मैथिली भाषा के द्वितीय राजभाषा के रूप में बिहार सरकार मान्यता नहि देलक अछि। भाषाई मान्यता के बावजूद मैथिली पद्धति स पढ़ौनीक व्यवस्था नहि होयब कष्टकर अछि। मैथिली भाषा के कमजोर करवाक साजिश चली रहल अछि। मिथिला बहुतो रास विभूतिक जन्म देलक अछि। एकर बादो केंद्र आ बिहार सरकार के द्वारा मिथिलावासी के भावना के अपमानित कायल जा रहल अछि। मैथिली भाषाक जइर् एतेक मजगूत अछि जे एकरा हिलेबाक साजिस नाकाम भ रहल अछि। मैथिली में प्रकाशित पोथी के संख्या एखनो भारतक अन्य भाषा में प्रकाशित पोथी स वेशी अछि।
कवि सम्मलेन के सेहो आयोजन छल, जाहि में कोलकाताक कवि लोकनि कविता पाठ केलनि जाहि में कृष्ण चन्द्र झा "रसिक", अजय तिरहुतिया, विनय भूषण, रुपेश त्योंथ, चन्दन झा, आमोद झा, अशोक झा, अशोक झा "भोली" छलाह। अशोक झा भोली कविता के लयबद्ध क सुनेला, जाहि स उपस्थित लोकनि के मन प्रफुल्लित भ गेल। हिनक टिक नोचबा कविता पर लोक हँसैत देखल गेलाह। अंत में कार्यक्रम के समापन अध्यक्ष लक्ष्मण झा सागर परहल कविता सब पर अपन विचार व्यक्त केलनि। कार्यक्रम के समापन मशाल ज़रा क कायल गेल।
