बीतल वर्ष भेटल किछु उत्तर, किछु ओझरैल सवाल
नव-मिथिला दिस सँ सबके, मंगलमय नव साल ।
सिद्धांतवाद-बूद्धिजीवी, ओ मीत-सखा सँ बाँचब
फुसिये उपर मोन सँ, जे पुछि रहल छथि हाल ।
नब साल में ढ़ाहि दियौ, बाँचल अछि जे पुरना
हम्मर-तोहर अहंकार के, सब छोट-पैघ देबाल ।
साकार हैत बुझु तहिये, मिथिला-मधुर कल्पना
घर-घर सँ निकलत जहिया, जरैत हाथ मशाल ।
अहि बात लेल ईश्वर के, हम व्यक्त करी आभार
जे देलनि बड बेस अछि, पोसब नै जंजाल ।
नव मिथिला बनतै तहने, भेटत निज अधिकार
जहिया सरकार’क घोषणा, मिथिला राज्य बहाल।
घर-आँगन में गीत गोसाउनिक, परा जाएत सब काल
नव-मिथिला दिस सँ सबके, मंगलमय नव साल ।
