मैथिली भाषा-साहित्यक महान विश्लेषक जाॅर्ज अब्राहम ग्रिअर्सन के जन्मदिनक अवसर पर विशेष - नव मिथिला - maithili news Portal

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बुधवार, 6 जनवरी 2016

मैथिली भाषा-साहित्यक महान विश्लेषक जाॅर्ज अब्राहम ग्रिअर्सन के जन्मदिनक अवसर पर विशेष

7 जनबरी, 2016 महान भाषाविद् जाॅर्ज अब्राहम ग्रिअर्सन जन्मदिनक अवसर पर विशेष  :
फाइल फोटो (विकिपीडिया)

डा. रमानन्द झा ‘रमण’ :

महान भाषाविद् जाॅर्ज अब्राहम ग्रिअर्सन: संक्षिप्त परिचय

मैथिली भाषा-साहित्यक महान विश्लेषक एवं भारतीय भाषाक विश्वविश्रुत भाषा वैज्ञानिक-सर्वेक्षक डा. जाॅर्ज अब्राहम ग्रिअर्सनक जन्म 7 जनवरी, 1851 ई. के ग्लेनागियरी काउंटी, डबलिन, आयरलैंडमे भेलनि। हिनक पिताक नाम जाॅर्ज अब्राहम रहनि। ओ ‘एक्सप्रेस’ दैनिक पत्राक सह-अधिकारी एवं महारानी विक्टोरियाक मुद्रक रहथि। हिनक माइक नाम इज़ाबेला रक्सटन छलनि। हिनक दूनू - मातृ एवं पितृ, कुलमे सरस्वतीक आराधनहिक परम्परा छल।

ग्रिअर्सनक प्रारम्भिक शिक्षा सैंट बी, श्रूजबरीमे भेलनि। तदुपरान्त, प्रसिद्ध विद्वान प्रो. बेंजामिन हाॅल केनेडीक अभिभावकत्वमे शिक्षा पाबए लगलाह। मुदा, ग्रिअर्सनक शिक्षा-दीक्षामे जाहि गुरुक सभसँ बेसी प्रभाव पड़ल, से छलाह भाषाविद् प्रो. राॅबर्ट एॅन्टकिंसन। प्रो. एॅन्टकिंसन फ्रेंच, लैटिन, अङरेजी, रूसी, चीनी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु आदि भाषाक ज्ञाता छलाह। कोनो प्रकाण्ड भारतीय पण्डित जकाँ ‘अष्टाध्यायी’पर हुनक असाधारण अधिकार छलनि। ग्रिअर्सन यद्यपि गणितक छात्रा छलाह, मुदा गुरुक सान्निध्यसँ हिनकहुमे भाषा-साहित्यक प्रति प्रगाढ़ अभिरुचि जागि गेलनि।

ग्रिअर्सन 1871 ई. मे इण्डियन सिविल सर्विस परीक्षा पास कएलनि। 1873 ई. मे भारत प्रस्थान करबाक समय जखन ओ गुरुसँ आशीर्वाद लेबाक हेतु गेलाह तँ ओ भारतीय भाषाक अनुसन्धानक काज सौंपि देलथिन।ग्रिअर्सन एकर निर्वाह आजीवन करैत रहलाह। ग्रिअर्सन भारतमे 1873 सँ 1898 ई. धरि रहलाह। एहि दू युगक अभ्यन्तर ओ बिहार एवं बंगालक विभिन्न स्थान पर एवं विभिन्न रूपमे सेवा कएलनि। एहीक्रममे 04दिसम्बर, 1877 सँ 17 जुलाइ, 1880 ई. धरि ओ मधुबनीमे पदस्थापित छलाह।

मधुबनीक ‘गिलेसन’ बाजार हुनकहि नाम पर अछि। एहिठाम किछु अस्वस्थ भए तीन मासक अवकाश लए जखन स्वदेश फिरलाह तँ पूर्व परिचिता लूसी एलिजाबेथसँ 14 सितम्बर, 1880 के ँ विवाह कए पुनः भारत आबि गेलाह। विवाहक समय ग्रिअर्सनक आयु 29 वर्ष एवं लूसीक आयु 26 वर्ष छलनि। 1899 ई. मे ग्रिअर्सन अपन देश घूमि गेलाह। जतय जीवनक शेष अवधि भारतीय भाषाक सर्वेक्षण एवं विवेचनमे बिताओल। एहि महान भाषाविदक देहावसान 8 मार्च, 1941ई. के ँभए गेलनि। तकर लगभग दू वर्षक बाद 19 फरबरी,1943 के पत्नी लूसी एलिजाबेथ सेहो दिवंगता भए गेलथिन्ह। ग्रिअर्सनके यद्यपि सन्तान-सुख नहि भेलनि, किन्तु भारतीय भाषाक हेतु ओ जे काज कए गेल छथि, से युग-युग धरि कोटि-कोटि भारतवासीक मनमे उचरैत रहत।

मिथिलाक लोक, भाषा-साहित्य एवं संस्कृतिक पहिल परिचय ग्रिअर्सनके एकासी साल(1873-1874)क दुर्भिक्षक समयमे भेलनि जखन अकाल पीडि़त लोकक सहायता-कार्यमे ओ लगाओल गेल छलाह। मुदा जखन हुनक पदस्थापन (4 दिसम्बर, 1877 सँ 17 जुलाइ,1880 ई) मधुबनीमे भेलनि तँ मिथिला एवं मैथिलीके निकटसँ देखबाक एवं गुनबाक पर्याप्त अवसर भेटलनि एवं ओहि अवसरक ओ सदुपयोग कएल। मधुबनी प्रवास अथवा तकर बादक अवधिमे मैथिली भाषा एवं साहित्यक क्षेत्रमे ग्रिअर्सनक अवदानके दू कोटिमे राखि सकैत छी। 
1. मैथिलीक सम्मानजनक सरकारी मान्यताक लेल जनमत तैआर करब, तथा
2. मैथिली भाषा-साहित्यक संकलन, सम्पादन, विवेचन एवं प्रकाशन।

ग्रिअर्सन इजलासमे बैसैत छलाह। वादी-प्रतिवादीके सुनैत छलाह। ओ सभ मैथिली अथवा अन्य स्थानीय भाषाक अतिरिक्त किछु बाजि नहि सकैत छल। जे केओ हिन्दी बजबाक प्रयासो करैत छल, से मैथिलिए भए जाइत छलैक। अपन एही अनुभवक आधार पर ग्रिअर्सनक दृढ़मत छल जे कचहरी अथवा स्कूलमे स्थानीय भाषा माध्यम बनए। ओ ई मानैत छलाह जे बिहारी भाषाकेँ सरकारी स्तरपर मान्यता दिआएब बिना सरकारक सहायताक सम्भव नहि अछि। हुनक स्पष्ट अभिमत छल जे कोनो जाति अथवा राष्ट्र संसद द्वारा अधिनियम बनबाए भाषा नहि बदलि सकैत अछि। ग्रिअर्सनसँ पूर्वक जे केओ पाश्चात्य विद्वान भेल छलाह, मैथिलीके एक स्वतन्त्रा भाषा नहि मानि, हिन्दीक अन्तर्गत राखल। ग्रिअर्सन पहिल व्यक्ति भेलाह जे भाषावैज्ञानिक तथ्यक आधारपर मैथिलीके ँएक स्वतन्त्रा भाषाक रूपमे स्थापित कएलनि। अपन एहि मतक स्थापनाक लेल ओ अनेक लेख एवं पोथी लिखल। लोकक विरोधक उत्तर देलनि। मैथिलीके एक स्वतन्त्रा भाषा मानबाक लेल ग्रिअर्सनक राजनीतिक स्तरपर पर्याप्त विरोध भेल आ’औखन साम्राज्यवादी मानसिकताक लोकके ई अरघैत नहि छैक जे मैथिली भारोपीय आर्यभाषाक मागधी अपभ्रंशक प्राच्य समूहक एक स्वतन्त्रा भाषा थिक। ग्रिअर्सन मैथिली एवं मैथिलीक विभिन्न भाषिकाक व्याकरण लेखनक अतिरिक्त मैथिलीक शिष्ट एवं लोक - दूनू साहित्यक संकलन, अनुवाद, विवेचन, सम्पादन एवं प्रकाशन कएने छथि। मैथिलीक कतिपय साहित्यकारक प्रसंग अनुसन्धान कए हुनक साहित्यक विवेचन कएल। लोक साहित्यक क्षेत्रामे हुनक प्रमुख संकलन-सम्पादन अछि ‘गीत दीनाभद्रीक ओ गीत नेबारक तथा सलहेस। ओ मनबोधक हरिवंश (कृष्णजन्म) तथा उमापतिक ‘पारिजातहरणक संकलन, अनुवाद एवं सम्पादनक संग ओहिमे प्रयुक्त समस्त शब्दक सूचीकरण कएल। मिथिलाक कतेको कविक परिचय संकलित कएल। विद्यापतिक समसामयिक कवि एवं विसपी ग्रामदानक प्रसंग अनुसन्धान कएल। जीबछ मिश्र लिखित उपन्यास ‘रामेश्वर’क समीक्षा लिखल। फतुरी लालक अकाली गीतसँ लोक के ँपरिचित कराओल। विद्यापतिक ‘पुरुष परीक्षा’क अनुवाद कएल। ‘मैथिली क्रेस्टोमैथी’ एवं ‘ट्वेन्टी वन वैष्णव हिम्स’ छापल। ‘बिहार पिजंट लाइफ’ लिखल। मैथिलीक पहिल व्याकरणक संग ओकर उपभाषाक सबहक व्याकरण लिखल। हाॅर्नलेक संग मिलि बिहारी भाषाक तुलनात्मक शब्दकोश तैआर कएल। भारतक भाषा सर्वेक्षण तँ सर्वज्ञात अछिए। ग्रिअर्सन मिथिला भाषाक आधार पर मिथिलाक एक भौगोलिक नक्शा बनाओल जकरा प्राप्त करब हमरालोकनिक लेल अद्यावधि स्वप्नवत अछि।

समाज सुधारक ग्रिअर्सन 
ग्रिअर्सनकेँ जेना मिथिलाक भाषा आ साहित्यसँ प्रेम छलनि, ओकर स्वीकृति आ संरक्षणक प्रति सक्रिय छलाह, ओहिना ओ मैथिल समाजमे व्याप्त बहुविवाह, विवाहक अवसर पर साधनसँ बेसी खर्च एवं अन्य सामाजिक दुर्गुणक निराकरणक हेतु सेहो चिन्तित छलाह। एकर उदाहरण थिक ‘मधुबनी विवाह समिति’। जखन शाहाबाद निवासी मुंशी प्यारेलाल सरकारी नोकरी छोडि़ समाजमे व्याप्त वैवाहिक कुप्रथाक निराकरणक हेतु आन्दोलन आरम्भ भेल आ ओ लोकप्रिय भेज तँ अङरेज सरकारक सहयोग करए लागल। एहिसँ ओ अर्द्धसरकारी भए गेल। बिहारक विभिन्न जिलामे शाखा खोलल गेलैक। दरभंगामे स्थापित शाखाके महाराज
लक्ष्मीश्वर सिंहक पूर्ण सहयोग भेटल। हुनक दूनू काकाजी महाराज कुमार गुणेश्वर सिंह एवं महाराज कुमार गोपेश्वर सिंह ओहि समितिक सदस्य बनौल गेलाह। ओहि संस्थाक नामकरण भेल ‘मधुबनी विवाह समिति’।

एकर मुख्यतः दू टा बिन्दु छलैक 
1. विवाहमे खर्च कम करब, तथा 2. मैथिल ब्राह्मणमे बहुविवाहके रोकब।
ओहि समयमे मधुबनीक एस.डी.ओ. जाॅर्ज अब्राहम ग्रिअर्सन छलाह। ओ एहिमे पर्याप्त रूचि लेलनि। हुनक अध्यक्षतामे 15 दिसम्बर, 1878 ई.के ‘मधुबनी विवाह समिति’क एक बैसार भेलैक। बैसारक रिपोर्टक4 अनुसार चर्चाक निम्नलिखित बिन्दु छल। 

1. कन्याक विवाहमे टाकाक माङ, 2. विवाहक हेतु कन्याक बिक्रय, 3. एक बिकौआक मृत्युपर हुनक अनेक पत्नीक आजीवन दारुण वैधव्य, 4. माता-पिताक विपन्नताक कारण छोट कन्याक वृद्ध अथवा अपंगक संग विवाह, 5. कन्या भ्रूणहत्या, 6. कन्याक विवाहमे विलम्बसँ अनाचारक सम्भावना, एवं 7. विवाहमे कर्ज।

व्यापक दृष्टिक ‘मधुबनी विवाह समिति’क सदस्य सभाक समय सौराठ जाए पूर्ण जाँचक उपरान्त विवाहक अनुमति प्रदान करैत छलाह। प×जीकारके ँस्पष्ट आदेश छल जे बहुविवाहीके अनुमति प्रदान नहि करथि किछुके दण्डित सेहो कएल गेल।

कन्यागत एवं वरागत द्वारा कएल गेल खर्चक जाँच समितिक सदस्य करब आरम्भ कएल तँ खर्चके नुकेबाक यत्न होअए लागल। ग्रिअर्सनक मधुबनीसँ स्थानान्तरण, मुंशी प्यारेलाल एवं महाराज लक्ष्मीश्वर सिंहक देहावसानक उपरान्त एहि आन्दोलनक प्रभाव क्रमशः शिथिल होइत गेल।

एहि प्रकारे जाॅर्ज अब्राहम ग्रिअर्सन मिथिला भाषाक स्वीकृति एवं संरक्षण संग मिथिलाक सामाजिक जीवनमे व्याप्त सामाजिक कुरीतिक निराकरणक क्षेत्रामे सेहो महत्वपूर्ण काज कएने छथि। एहि सब अवदानक लेल मिथिलावासीके हुनका मोन पाड़ब परम पुण्यक काज थिक।

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