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मंगलवार, 23 अगस्त 2016

मानवता के विकास के लेल संस्कृत जरूरी: प्रधान जिला जज


 
  • बोकारो मे संस्कृत दिवस समारोह आयोजित
  • अंतरविद्यालयीय विविध संस्कृत प्रतियोगिताक विजेतासभ भेलाह पुरस्कृत


- अरुण पाठक

बोकारो (झारखंड)। संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित संस्था राष्ट्रीय संस्कृत प्रसार परिषद् एवं संस्कृत भारती बोकारो के संयुक्त तत्त्वावधान मे वृहस्पतिदिन, 18 अगस्त 2016कऽ श्रीअय्यप्पा पब्लिक स्कूल मे संस्कृत दिवस समारोहक आयोजन कएल गेल। समारोहक उद्घाटन वैदिक मंत्रक बीच अतिथिगण द्वारा कएल गेल। आगत अतिथिसभक सम्मान मे दिल्ली पब्लिक स्कूल, बोकारो के विद्यार्थीसभ स्वागत गीत एवं समूहगीतक सुमधुर प्रस्तुति केलनि। स्वागत भाषण करैत संस्कृत भारती के संरक्षिका सह डीपीएस बोकारो के निदेशक व प्राचार्या डाॅ हेमलता एस मोहन संस्कृत भाषा के महत्त्व पर प्रकाश देलनि। ओ कहलनि जे संस्कृत भाषा प्राचीनकाल मे जन भाषा छल। आई पुनः संस्कृत के सहज करबाक आवश्यकता अछि। मुख्य अतिथि बोकारो के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय प्रसाद संस्कृत के ज्ञान, विज्ञानक सर्वोत्तम वाहक बतओलनि। विघटन के समस्याक समाधान आ’ मानवता के विकास के लेल संस्कृतक ज्ञान के महत्त्वपूर्ण बतओलनि। ओ कहलनि जे विदेश मे सेहो संस्कृत भाषा के महत्त्व के स्वीकार कएल गेल अछि। परिषद् के संरक्षक रामाधार झा कहलनि जे संस्कृत सभ भाषाक जननी अछि। संस्कृतक प्रचार-प्रसार आवश्यक अछि। वरिष्ठ साहित्यकार सुखनंदन सिंह ‘सदय’ कहलनि जे संस्कृत भाषा मे भारतीय संस्कृति समाहित अछि। ओ एकर सरल व्यावहारिक प्रयोग पर बल देलनि। परिषद् के निदेशक पं. विद्यानन्द झा अपन संबोधन मे संस्कृत के संस्कारक भाषा कहलनि आ’ संस्कृत के प्रचार-प्रसार हेतु परिषद्क प्रयासक सराहना कयलनि। ओ संस्कृत के अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष, सुख-शांति के प्रदान करयवला सर्व श्रेयश्करी भाषा बतओलनि। 

एहि अवसर पर विगत दिन आयोजित अन्तरविद्यालयीय विविध संस्कृत प्रतियोगिताक विजेतासभकें पुरस्कृत कएल गेल। विभिन्न प्रतियोगिता मे डीपीएस बोकारो के विद्यार्थीसभ सर्वाधिक पुरस्कार प्राप्त कयलनि। समाजक विविध क्षेत्र मे उत्कृष्ट योगदानक लेल बोकारो के प्रधान जिला जज संजय प्रसाद, शिक्षाविद् डाॅ हेमलता एस मोहन, समाजसेवी रामाधार झा, साहित्यकार सुखंनदन सिंह ‘सदय’, पं. विद्यानंद झा, सरोज झा, श्रीअयप्पा पब्लिक स्कूल के निदेशक डाॅ एस एस महापात्रा, डी शशि कुमार, एस सत्पालन, शशिंद्रन करात, कमल कांत जैन, काशीनाथ सिंह, रंजीत वर्णवाल, के वासुदेवन, मोहनन नायर, रामबचन सिंह, शशि भूषण त्रिपाठी, संजीव कुमार झा, मुन्नी झा, अनिल कुमार गुप्ता, राजा राम शर्मा, विनय कुमार पांडेय, डाॅ यू सी झा, डाॅ सत्यदेव तिवारी, रंजू, राकेश कुमार सिंह, बलराम मजुमदार, सहजानंद चैबे आदि के सम्मानित कएल गेल। समारोहक अध्यक्षता रामाधार झा कयलनि। मंच संचालन विनय कुमार पांडेय आ’ डाॅ सत्यदेव तिवारी तथा धन्यवाद ज्ञापन रामबचन सिंह केलनि। कार्यक्रमक समापन परिषद् के सह संयोजक शशि भूषण त्रिपाठी द्वारा शांति पाठ सँ भेल। कार्यक्रम के सफल बनाबऽ मे प्रमुखरुप सँ जय प्रकाश सिंह, शालिनी शर्मा, डाॅ पद्माल्या दास चैधुरी, पुनीता पाठक, ममता मिश्रा, दुलाल चटर्जी, प्रभाकर त्रिपाठी, दामोदर पांडेय, शशिकांत पांडेय, एस के मिश्रा, डाॅ एन के राय, भुटकुन झा, डाॅ आर एन सिंह, बालशेखर झा, रामटहल सिंह आदिक योगदान रहल। 




बोकारो मे श्रद्धा आ’ उल्लासक संग मनाओल गेल रक्षाबंधन
   
बोकारो (झारखंड)।  भारतीय संस्कृति मे संबंधसभक अपनी गरिमा अछि। एहिठाम कतेको पावनि-तेहार अछि जे रिश्ताक डोर कंे मजगूती प्रदान करैत अछि। ऐहने पावनि अछि भाय-बहिनक शाश्वत प्रेमक प्रतीक रक्षा बंधन। समय के संग हर चीज मे बदलाव अवश्यंभावी अछि, तईयो एहि तरहक त्योहार आपसी रिश्ता के मजगूती प्रदान करैत अछि। बोकारो अपन सांस्कृतिक गरिमा के लेल सेहो जानल जाईत अछि। एहिठाम विभिन्न भाषा-भाषी के लोकसभ निवास करैत छथि। ईएह कारण अछि जे इस्पात नगरी बोकारो के लघु भारत सेहो कहल जाईत अछि। एहिठाम विभिन्न पर्व-त्योहार के लोकसभक बहुत उत्साह व उमंगक संग मनबैत छथि। ऐहन रक्षाबंधन के अवसर पर सेहो देखबाक भेटल। बहिनसभ अपन भाय के राखी बांधबाक लेल कतेको दिन सँ तैयारी मे लागल छलीह। जिनक भाय लग मे छनि हुनक खुशीक तऽ ठेकाने नहि, जिनकर भाय दूर छथि हुनका बहिनसभ कूरियर, पोस्ट के द्वारा राखी भेजलनि तऽ कतेको हाईटेक जमाना के लाभ उठबैत इंटरनेटे के द्वारा राखी पठा देलनि। भायसभ अपन-अपन बहिन कंे उपहार भेंट करबाक लेल कतेको दिन सँ दुकान में गिफ्ट सैलेक्ट करबा मे लागल छलाह। पावनि-तेहार होअय आ’ मिठाईसभक चर्च नहि होअय से तऽ संभवे नहि अछि। दोकानसभमे लोकसभक भीड़ एहि बातक गवाह छल जे कतबो महंगाई होअय, लोक मिठाई खरीदेबे करत। प्रसिद्ध दुकानसभक संगहि छोट-मोट दोकानसभमे सेहो मिठाई के खूब बिक्री भेल। भोरे सँ बहिनसभ नहाकऽ, सजि-धजिकऽ आरतीक थाली लऽ भायक आरती उतारलनि। राखी बांधलनि, मिठाई खुओलनि आ’ उपहार सेहो प्राप्त केलनि।

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