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बुधवार, 14 अक्टूबर 2015

साहित्यलोकक मासिक रचनागोष्ठी

साहित्यलोक’क गोष्ठी मे उपस्थित साहित्यकार

  • आऊ सरस्वती संग गणेशक मैथिल पुत्रक गाम मे
  • साधक बनि दशहरा हम सब मनाबी...’


- अरुण पाठक


झारखंड (बोकारो)। प्रखर साहित्यिक संस्था ‘साहित्यलोक’क मासिक रचनागोष्ठी मिथिला सांस्कृतिक परिषद्क महासचिव हरि मोहन झाक सेक्टर 4सी स्थित आवास पर आयोजित भेल। गोष्ठीक शुरुआत वरिष्ठ गीतकार विनय कुमार मिश्र अपन रचना सरस्वती वंदना ‘आऊ सरस्वती संग गणेशक मैथिल पुत्रक गाम मे...’ तथा गीत ‘मनमोहन तोहर सुनब बंसुरिया...’ सस्वर सुनाकऽ कयलनि। कवि भुटकुन झा संस्कृत मे ‘ऋच्छकटिकम्’ व मैथिली मे ‘साधक बनि दशहरा हम सब मनाबी...’, सतीशचंद्र झा ‘अपूर्ण इतिहास’ व ‘स्वप्न’, राजीव कंठ हिन्दी मे ‘फूल खिले पलास के’ व मैथिली मे ‘सभक पहिल काज’, महाकवि दया कान्त झा ‘सुक्ति’ व ‘दूरमिलाप के परिणति’, विजय शंकर मल्लिक ‘जय-जय गोपाल कहु सभ...’ व ‘हाय सिहरौना’ शीर्षक कविता सुनओलनि। अमन कुमार झाक मैथिली कहानी ‘विस्थापित’ सेहो प्रशंसनीय रहल। एहि रचनागोष्ठीक खासियत रहल जे ‘साहित्यलोक’ सँ किछु वर्ष सँ जुड़ल रहल आ’ वर्तमान मे बोकारो सँ बाहर रहि रहल शिक्षक व युवा कवि डाॅ सन्तोष कुमार झा (विशाखापत्तनम) आ’ भारतीय वन सेवा के अधिकारी व वरिष्ठ साहित्यकार कुमार मनीष अरविन्द (रांची) मोबाइल के माध्यम सँ अपन कविता क्रमशः ‘अप्पन ठाम’ व ‘गाछ झमटगर’ के सुनओलनि। गोष्ठी मे पठित रचनासभ पर समीक्षा टिप्पणी हरिमोहन झा, विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति’, दया कान्त झा, भुटकुन झा, अरुण पाठक व मुकेश कुमार सिंह देलनि। एहि रचनागोष्ठीक अध्यक्षता विनय कुमार मिश्र तथा संचालन ‘साहित्यलोक’क संयोजक अमन कुमार झा कयलनि।

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