मिथिलाक पारंपरिक उत्सव कोजागरा आई - नव मिथिला - maithili news Portal

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

मंगलवार, 27 अक्टूबर 2015

मिथिलाक पारंपरिक उत्सव कोजागरा आई


चित्र परिचय-कोजागरा मनबैत नव ववाहित युवक (फाईल फोटो)।
  • पान-मखान-मिष्ठानक वितरण होईत अछि खास आकर्षण  

  - अरुण पाठक
            
झारखंड (बोकारो)। मिथिला मे विवाह के बाद नव वर-वधू के लेल वर्ष भरि विभिन्न पावनि-तेहारक विधान अछि। विवाह के बाद मनाय जायवला प्रमुख पावनि-तेहार मे कोजागरा सेहो शामिल अछि। मिथिलाक प्रसिद्ध कोजागरा उत्सव 12म सदी मे लिखित धर्मशास्त्र मे वर्णित अछि। तें एकरा अति प्राचीन आ’ प्रासंगिक मानल जाईत अछि। आश्विन पूर्णिमा के कोजागरा उत्सव मनयबाक विधान अछि। प्राचीन काल मे कोजागरा लक्ष्मीपूजा के रूप मे मनाओल जाईत छल। कालान्तर मे एहिमे नव विवाहित वर के अभिषेक व द्यूत-क्रीड़ा के सेहो समेट लेल गेल। परंतु वास्तविकता अछि जे कोजागरा शब्दक व्युत्पत्ति ‘‘को जागर्तीति’’ सँ भेल अछि। अर्थात् एहिमे रात्रि जागरणक प्रधानता अछि। एहि लेल क्रीड़ा, उत्सव या अन्य मनोरंजन विधान के अपनाओल जाईत अछि। कोजागरा के अवसर पर नव विवाहित वरक सासुर पक्ष सँ नव कपड़ा आ’ विधि-विधान सँ संबंधित सभ सामग्री अबैत अछि। एहि अवसर पर वर पक्षक दिस सँ मित्र, आस-पड़ोसक लोकसभ आ’ सगा-संबंधीसभकें आमंत्रित कय बजाओल जाईत अछि। रात्रि मे अधपहरा देखिकऽ वरक चुमाओन होईत अछि। आँगन मे विशेष प्रकारक अल्पना बनाकऽ ओहि पर पीढ़ी राखल जाईत अछि। अष्टदल अरिपन दऽकऽ ओहि पर डाला राखिकऽ विभिन्न प्रकारक साम्रगी राखल जाईत अछि। चुमाओन डाला पर मखान, पांच नारियल, केला, दहीक छाँछ, पानक ढोली, गोटा सुपारी, मखानक माला, दक्षिणी, चानीक कौड़ी, पचीसी, शतरंज आदि राखल जाईत अछि। वर अपन ससुराल सँ आयल नव वस्त्र धारण कय सजि-संवरि कऽ चुमाओन के लेल पीढ़ी पर बैसैत छथि। चुमाओन, कोजागरा आदिक गीत सँ पूरा वातावरण गुंजायमान रहैत अछि। कोजागरा उत्सव मे नववधू ओतय उपस्थित नहि रहैत छथि। कोजागरा उत्सव मे सभ विधान केवल वरहि के करबाक होईत अछि। एहि अवसर पर कुटुंबजन सभक आगमन के संगहि इष्ट-मित्रसभक उपस्थिति सँ काफी गहमा-गहमी रहैत अछि। आगंतुकसभक बीच मिथिलाक प्रसिद्ध प्रसाद मखान, पान आ’ मिष्ठान्न वितरण कएल जाईत अछि।  

Post Top Ad