समकालीन मैथिली साहित्य पर संगोष्ठी - नव मिथिला - maithili news Portal

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मंगलवार, 26 जुलाई 2016

समकालीन मैथिली साहित्य पर संगोष्ठी


: बिनय भुषण :

पश्चिम बंगाल : दिनांक 23 जुलाई 2016 केँ हावड़ा के बेलुड़ मे श्री अशोक चौधरी जी के निवास पर श्री उमाकांत झाबख्सीजी के अध्यक्षता मे एक गोट साहित्यिक संगोष्ठी के आयोजन भेल। कार्यक्रम 10 बजे सँ निर्धारित छल। मुदा कार्यक्रम 11 बजे सँ प्रारंभ भेल। 4 बजे धरि गहन विचार-विमर्श काव्य पाठ होइत रहल। एहि कार्यक्रमक मुख्य अतिथि श्री तारानंद वियोगी छलाह। परिचय-पातक पश्चात कार्यक्रमक शुरुआत सजग मैथिली पाठक समालोचक श्री अंजय चौधरी जीक वकतव्य सँ भेल। अतिथि तारानंद वियोगीक साहित्य एवं व्यक्तित्व पर विस्तार सँ चर्चा कयलनि। हुनक काव्य शिल्प, वैचारिकता, कथा साहित्य आलोचनात्मक दृष्टि पर अपन वकतव्य प्रसतुत कयलनि। मिथिलेश कुमार झा हुनक बहुचर्चित कथाआवागमनके पाठ कयलनि। तत्पश्चात ओहि कथा पर चर्चा भेल। श्री अमोद कुमार झा हुनक  बहुचर्चित कविताहितोपदेशके आवृति कयलनि। दुनु रचनाक आधार पर वियोगी जीक साहित्यिक दृष्टि केँ समस्त साहित्यकार बुझबाक प्रयास कयलनि। श्री तारानंद वियोगी आजुक मैथिली साहित्यक दशा दिशाविषय पर अपन वकतव्य प्रस्तुत कयलनि। कहलनि जे आजुक साहित्य समसामयिकताक संग प्रस्तुत रहल अछि। मैथिली भाषा एकर वैचारिक इतिहासक संरक्षण लेल सृजनात्मक साहित्यक रचना आवश्यक अछि। परिसंवादक क्रम मे श्री राजीव रंजन मिश्र गजल के व्याकरण पर प्रश्न कयलनि, कहलनि जे हमरा लोकनि के व्याकरण के नियम के पालन करवाक प्रयास करबाक चाही, मुदा कट्टरताक संग नहि। अंजय चौधरी यात्री, राजकमल जीवकान्त के संदर्भ मे अनेकानेक प्रश्न पुछलन्हि। सविस्तार समस्त प्रश्नक जवाब देलन्हि। कहलनि जे आजुक साहित्यकार केँ हिनका सभ के अवश्य पढवाक चाही, कारण मैथिली साहित्य हिनके सभक रचना सँ प्रगतिशीलताक बाट प्रशस्त भेल अछि।  एहि तरहेँ श्रोता लोकनि हुनक वकतव्य सुनि संतुष्ट होइत गेलाह।श्री अशोक चौधरी सेहो प्राइमरी स्तर पर मैथिलीक पढौनी मिथिला राज्यक निर्माण संबंधी अनेकानेक प्रश्न पुछलन्हि। एहि समस्त विषय के प्रासांगिक अनिवार्य कहलनि। संगहि एहि स्तर पर किछु काज करवाक इच्छा व्यक्त केलन। मैथिली लिपिक संरक्षण दिस सेहो संकेत कयलनि। पीढी के अंतरालक समस्या के गंभीर समस्या कहलनि। कहलनि जे नव पीढी मे नव सृजनक क्षमता रहैत अछि तँ पुर्ववर्ती पीढी लग अनुभवक खजाना। एहि दुनुक सामंजस्य सँ मैथिली साहित्यक विकास होयत।


दोसर सत्र मे कविता पाठ भेल, मिथिलेश कुमार झाएक चित्र-तीन रंगराजीव रंजन मिश्र किछुगजल’, भाष्कर झागीत’, बिनय भूषणहमरा लिखबाक छल एकटा कविता तारानंद वियोगीचाबस बाबा चाबस’, आँखि मुनबाक लेलयात्रीजी पर किताब लिखबपाठ कयलनि। अंत मे आयोजक श्री अशोक चौधरी जी धन्यवाद ज्ञापित करैत कहलनि जे आई विद्वान साहित्यकार लोकनि के अपना मध्य पाबि हम आनंदित भेलौं। एहि मे प्रकाश झा गिरीश झा सेहो सक्रिय भुमिकाक निर्वाह कयलनि।

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