बोकारो। प्रखर साहित्यिक संस्था ‘साहित्यलोक’क मासिक रचनागोष्ठी रविदिन (15 अक्टूबर 2017) के साँझ मे ‘साहित्यलोक’ के संयोजक अमन कुमार झा के सेक्टर 4एफ स्थित आवास पर आयेाजित भेल। साहित्यकार हरि मोहन झाक अध्यक्षता तथा साहित्यलोक के संस्थापक महासचिव तुलानन्द मिश्र के संचालन मे आयोजित एहि रचनागोष्ठी मे वरिष्ठ कवि बुद्धिनाथ झा, दया कान्त झा, विजय शंकर मल्लिक, विनय कुमार मिश्र, युवा कवि राजीव कंठ, प्रदीप कुमार दीपक, अमन कुमार झा व अरुण पाठक रचना पाठ कयलनि। रचनागोष्ठीक शुरुआत गीतकार विनय कुमार मिश्र सरस्वती वंदना ‘आगत कवि आ गायक मिलिकऽ..’ सुनाकऽ कयलनि। तत्पश्चात् ओ गीत ‘लपकि-लपकि कऽ ताल बजबियौ....’, कृष्ण भजन ’मटकि-मटिकऽ मटकी फोरथि...’ व ‘राधेश्याम भजे मन द्वारे...’ सुनाकऽ सभकें आनंदित कयलनि। महाकवि दया कान्त झा ‘सूरज को ढलते देखा है’, ‘मानवीय अस्तित्व पर’ व ‘वाम पथिक के संयम बोध’ कविता मे विभिन्न सामाजिक समस्याक संुदर चित्रण प्रस्तुत कय सभक प्रशंसा पओलनि। अमन कुमार झा अपन रचना नाटक ‘कालचक्र’ के किछु अंश सुनओलाक बाद स्वदेशीक भावना सँ ओत-प्रोत कविता ‘विदेशी माल’ सुनओलनि। राजीव कंठ मैथिली प्रेम कविता ‘बेटरहाफ छी आहां’ व मानवीय क्षरण पर केंद्रित कविता ‘घोर कलियुग’ सुनाकऽ सभहक प्रशंसा पओलनि। खोरठा व हिन्दी के यशस्वी गीतकार प्रदीप कुमार दीपक खोरठा गीत ‘कोना सखी डाके रै’ सुनाकऽ सभकें मंत्रमुग्ध कऽ देलनि। वरिष्ठ साहित्यकार विजय शंकर मल्लिक ‘चारि पतिया’ व स्वच्छता अभियान पर ‘दोहा’, बुद्धिनाथ झा विभिन्न सामाजिक मुद्दा पर आधारित मैथिली कविता ‘खन लागै इ समय घड़ी के सुइ जकां’, ‘समाजक पाप ढ़ाहि देब’, ‘सत्य सनातन’ प्रस्तुत केलाक बाद मैथिली मे ‘महाभारत’ के किछु अंश सुनाकऽ सभहक सराहना पओलनि। पठित रचनासभ पर समीक्षा टिप्पणी सेहो देल गेल।
-अरुण पाठक
