कहल जाइत अछि जे आजादीक एहि 70 साल मे देश बहुत प्रगति कयलक अछि. मुदा की एहि प्रगतिशील देश मे महिलाक स्थिति मे कतेक बदलाव आयल अछि ? एक दिस त नारी सेना, प्रशासनिक सेवा, राजनीति आर ने जानि कतय-कतय डेग राखि रहल अछि आ दोसर दिस, दहेजक लोभी महिषासुर ओहि नारी केँ जीविते डाहि दैत अछि. उपभोक्तावादक इ दौर की बियाह केँ एक मण्डी नहि बना देलक अछि जतय दहेजलोभी अपन बोली लगवयबाक लेल सजि क ठाढ़ अछि? आइ जिनगी विलासी होइत जा रहल अछि, जे सामान लड़का पहिने 15-20 साल काज क जमा क पबैत छल, वैह सामान आइ लड़का वला बियाहक काल हसोथि लेबय चाहैत अछि. लड़की के बियाहक बाद दहेज नहि द सकबाक स्तिथि मे ओकरा प्रताड़ना सहय पड़ैत छैक. दहेज प्रथाक जाहि आगि मे एखन धरि सैकड़ो बेटी झरकि चुकल अछि, ओहि आगिक ताव कहियो ने कहियो सभ बाप केँ लगैत अछि. मुदा कहिया आ कखन? शाइत तहन जखन बात अपना बेटीक होय.
दहेजक एहि कुप्रथा केँ नष्ट करबाक लेल सरकारो कतेक कानून बनौलक । मुदा की कानून मात्र सँ मानसिकता बदलल अछि ? आ ओहुना की इ कानून अपना आप मे एतेक सक्षम, एतेक प्रभावी अछि जे ओ वास्तव मे ओहि दहेज लोलुप लड़का वलाक हाथ मे हथकड़ी लगवा सकय जे ककरो बेटी केँ नोटक मशीन स बेसी किछु नहि बुझैत अछि?
मिथिलांचल मे दहेज़ प्रथा केर जड़ी एतेक गहीर अछि जे ओकरा ुखारड़बाक लेल बड़ मेहनति केर दरकार अछि. दहेज नामक एहि कुरीतिक जड़ी समाज मे एहि तरहे पसरल अछि की एकरा उखारबाक लेल मात्र कानून टा बनायब पर्याप्त नहि अछि। इ एगो संवेदनशील क्षेत्र अछि जतय कानून केँ लागू करब बहुत हद धरि संभव नहि। लोकक बुद्धि बड़ विलक्षण अछि। ओ सभ कानूनक तोड़ निकालि लैत अछि आ एहि लेल कानून कोनो सामाजिक विषमता वा कुरीति के दूर करबाक लेल सभ स कमजोर हथियार साबित भेल जा रहल अछि। आइ दरकार अछि जे समाजक नव सोच रखनिहार एहि कुप्रथाक विरूद्ध आगू आबथि आ एहि कुरीति के समाज स नष्ट करबा मे कानूनक आ समाज सहित अपना लोकनिक नीक करथि।
चीफ एडिटर
आकाश राय
दहेजक एहि कुप्रथा केँ नष्ट करबाक लेल सरकारो कतेक कानून बनौलक । मुदा की कानून मात्र सँ मानसिकता बदलल अछि ? आ ओहुना की इ कानून अपना आप मे एतेक सक्षम, एतेक प्रभावी अछि जे ओ वास्तव मे ओहि दहेज लोलुप लड़का वलाक हाथ मे हथकड़ी लगवा सकय जे ककरो बेटी केँ नोटक मशीन स बेसी किछु नहि बुझैत अछि?
मिथिलांचल मे दहेज़ प्रथा केर जड़ी एतेक गहीर अछि जे ओकरा ुखारड़बाक लेल बड़ मेहनति केर दरकार अछि. दहेज नामक एहि कुरीतिक जड़ी समाज मे एहि तरहे पसरल अछि की एकरा उखारबाक लेल मात्र कानून टा बनायब पर्याप्त नहि अछि। इ एगो संवेदनशील क्षेत्र अछि जतय कानून केँ लागू करब बहुत हद धरि संभव नहि। लोकक बुद्धि बड़ विलक्षण अछि। ओ सभ कानूनक तोड़ निकालि लैत अछि आ एहि लेल कानून कोनो सामाजिक विषमता वा कुरीति के दूर करबाक लेल सभ स कमजोर हथियार साबित भेल जा रहल अछि। आइ दरकार अछि जे समाजक नव सोच रखनिहार एहि कुप्रथाक विरूद्ध आगू आबथि आ एहि कुरीति के समाज स नष्ट करबा मे कानूनक आ समाज सहित अपना लोकनिक नीक करथि।
चीफ एडिटर
आकाश राय

