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Aakash Roy CHIEF EDITOR |
हमर सामाजिक परिवेश एक तरहे एहि प्रकारक बनि गेल अछि जे एहि ठाम लोकक प्रतिष्ठा हुनका आर्थिक स्तिथिए पर निर्भर करैत अछि. जिनका लग जतेक सम्पति होइत छनि हुनका समाज मे ओतबए महत्व आ सम्मान देल जाइत अछि. एहन परिदृश्य मे लोकक लालची होयब आ दहेजक आशा राखब एक स्वाभाविक परिणाम अछि। इ विडंबनाए कहल जायत जे जकरा जतेक बेसी दहेज भेटैत अछि ओकरा समाज मे ओतबए सम्माननीय दृष्टि सँ देखल जाइत अछि।
दहेज प्रथाक दानव एखन धरि ने जानि कतेको बेटीक बलि ल लेलक अछि. जीविते डाहि देल गेल बेटी लोकनिक लेल ने समाज किछु क पबैत अछि ने कानून। एहि सँ रक्षार्थ कानूनी मामिला मे किछु कोर्ट धरि त पहुंचियो नहि पाबैत अछि आ जं किछु मामिला पहुंचियो जाइत अछि त पैघ जटिल प्रक्रिया आ जांचक पेंच मे एहि तरहे ओझरा जाइत अछि जे बहुत कमे बेटी के न्याय भेटि पाबैत अछि. मुदा आब समय आबि गेल अछि जे एकर कठोरता पूर्वक प्रतिवाद होयबाक चाही। बेटी के स्वयं शसक्त होमय पडत.
प्रताड़ित होयब वा सहब बेटीक भाग्य नहि अछि, अपितु कोनो तरहक प्रताडनाक विरुद्ध खुजि क बाजब सेहो आवश्यक भ गेल अछि. समाजक युवा लोकनिक कान्ह पर समाज के बदलबाक जिम्मेवारी अछि, जकरा हुनक अनुकरण करबाक दिस काज करबाक चाही. हमरा प्रताड़ित बेटीक संग देबय पडत आ आबय वला पीढ़ीक संग वर्तमान क़े सेहो एहि दानव सँ बचयबाक अछि, जाहि सँ कि हम माथ उठा क कहि सकी जे मिथिला मे बेटीक सम्मान होइत अछि. कहबाक तात्पर्य इहे जे मात्र देवी कहब आ पूजब बन्न करू आ हुनका जिबैत लोक बुझू, किएक त हिनको दर्द होइत छनि, कष्ट होइत छनि हमरे अहा जकाँ. तहने बेटीक प्रताड़ना मे कमी आओत मुदा एकर लेल आरम्भ हमरा अपना घरे सँ करय पड़त.
जय मिथिला।