कोजगरा: मिथिला केर नवबियाहल जोड़ी लेल अद्भुत पावनि, जे मात्र मिथिलांचले मे मनाओल जाइत अछि - नव मिथिला - maithili news Portal

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मंगलवार, 23 अक्तूबर 2018

कोजगरा: मिथिला केर नवबियाहल जोड़ी लेल अद्भुत पावनि, जे मात्र मिथिलांचले मे मनाओल जाइत अछि


मिथिलांचलक नवबियाहल जोड़ी लेल कोजगरा एगो अद्वभुत पावनि थिक. ई पावनि नव नवबियाहल लोकनि सं जुड़ल एहन उत्सव अछि जे मात्र मिथिलांचले मे मनाओल जाइत अछि. एहि बेर 24 अक्टूबर 2018, बुधदिन के कोजागरी पूर्णिमा अछि, एहि दिन नवबियाहल वरक सासुर सं,वर एवं हुनक समस्त परिवारक लेल नव कपड़ा पठाओल जाइत अछि.वरक लेल त' जूता सं ल' क' छाता धरि कनियां पक्ष दिस सं पठाओल जाइत अछि. बांसक खपची सं बनल एकटा पैघ डाला कें खूब सजा क' ओहि में कतेको तरहक मिठाइ सं भरि क' वर पक्षक घर पठेबाक परंपरा अछि. किनको त' डाला एतेक भारी ओ पैघ होइत अछि जे ओकरा दस टा कहार मिलि क' उठबैत अछि. जेना से ई कनियां पक्षक वैभव-प्रदर्शनक अवसर होइत अछि. डाला कें सुपारीक गाछ, जनेऊ सं बनल सुन्नर डिजाइन जाहिमे जनेऊक बनावट देखल जाइत छैक. जतेक महीन जनेऊक धागा रहैत अछि तकर प्रशंसा कयल जाइत छैक. परिवारक सुरुचि-सम्पनता..देखल जाइत अछि. राति मे वर कें नव वस्त्र धारण करवा क' काजर; चानन लगा क'; माथ पर पाग पहिरा क'; घरक आंगन मे ओहि डाला सं लड़का कें घरक स्त्री लोकनि चुमबैत छथि. एहि अवसर पर गाओल जाय वला लोक गीत सं घर गुंजायमान भ' जाइत अछि. फेर गाम-समाजक लोक मे पान -मखान बांटल जाइत अछि. पान –मखान मिथिलाक सांस्कतिक पहिचान थिक. दलान पर कौड़ी सं चौपाड़ि खेलाओल जाइत अछि. ओहि समय जं सासुरक पाहुन होथि त' हंसी–मजाकक रोचक क्षण चलैत रहैत अछि. ओकर बाद भार { वरक सासुर सं पठाओल गेल मिठाइ; फल, दही) मे आयल वस्तु सं गाम-टोल में लोक कें भोज कयल जाइत अछि. परसल गेल व्यंजनक अनुरूप लोक लड़की पक्षक गुणगान करैत भोज खा अपन घर जाइत छथि.
मुदा अपन समाज मे आजुक परिदृश्य मे एहि पावनि एकर एगो दोसर दुर्भाग्यपूर्ण पक्ष एवं कड़गर सत्य इहो अछि जे जं वर पक्षक मांग अनुसार कनिया पक्ष दिस सं नीक व्यवस्था नहि होइत अछि त' नवबियाहक बाद मनमुटाव पहिल स्थिति केर शुरुआत सेहो देखल गेल अछि,  जे कनियांक गरीब माय-बापक लेल विकट दुर्भाग्यपूर्ण क्षण होइत अछि. अपन सामर्थ्य केर अनुसार सभ बेटी केर पिता एहि परंपराक निर्एवहन करैत छथि. एहि पावनि कें मिथिला मे सौभाग्य केर प्रतिक मानल जाइत अछि. हमरो लोकनि के एतेक प्रेमरस सं सराबोर एहि सुन्नर पाबनि कें हर्षोल्लास संग मनयबाक चाही; जाहि सं संपूर्ण विश्व मे विख्यात अपन मिथिला केर सुसंस्कृति ओ लोकपरंपरा जिवंत रहि सकय.

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